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नए बैल का नया सिंग

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  हास्य-व्यंग्य   नए बैल का नया सिंग    नगर में जैसे ही एक चर्चित पुलिस अधिकारी को जिले के नए कप्तान बनाये जाने की खबर जैसे ही आम जनता को मिला ,सब बहुत खुश हुए ।खुश इसलिए नहीं हुए कि नए कप्तान के आने से शहर में कानून का राज या रामराज आ जाएगा ।ऐसी मूर्खता भरी आशा करना वे कब का छोड़ चुके है।उनके खुश होने का कारण था अब सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उनके शहर के खूब चर्चे होंगे ।अब आम जनता हो या व्यक्ति सबने बड़ी बड़ी खुशियां तलाशना छोड़ दिया है और वे आभासी दुनिया मे दस सेकंड वायरल हो जाने जैसी छोटी-छोटी खुशियों में खुशियां तलाश लेते है।   इनके एसपी बनाए जाने की खबर मिलते ही शहर के हेलमेट विक्रेताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है ,क्योंकि राज्य भर में इस बात की चर्चा है कि ये जहाँ भी जाते है उस जिले में हेलमेट की बिक्री 200% तक बढ़ जाती है।लोहारा रोड स्थित एक हेलमेट विक्रेता ने नाम ना छापे जाने जाने की शर्त पर हमें बताया कि "जितना स्टॉक बचा है आशा है कि सा रास्ता हफ्ते भर में क्लियर हो जाएगा हमें तीन अलग-अलग कंपनियों से 500 हेलमेट के लिए ऑर्डर दे दिया है कई लोग हमसे हेलमेट के बारे

अब आप ही जानो ,ये पोस्ट गद्य है या कविता

 भारतीय पुरुषों के चरित्र, विचार, आचरण , सबमें विरोधाभास ,विसंगति और पाखंड है।  स्वयं भले ना हो राम और सत्यवान जैसे पत्नी चाहिये  सीता और सावित्री सी।।  भार्या चाहिए संस्कारी ,   पति सेवा में रत भारतीय नारी।।  करे चरण स्पर्श और पैर भी दबाए , दुल्हन वही जो पिया मन भाए।।   आयु वृद्धि ,जीवन रक्षा हेतु करे सदा उपवास .  और पति ऊपर करे आँख मूंद विश्वास ।।     जब पति का चित्त हो विभ्रांत   औषधि का लेप बन जाये.   जब मन शुष्क मरुथल बने   वो आद्रा सी बरस जाये।   भोजन जब खिलाये पत्नी तो,   खिलाये मातृवत होकर ,   शयनकक्ष में रंभा सी वो रमणी बन जाये।   उसे पत्नी चाहिए विवाह की अमृता राव जैसी पर पड़ोसन और कलीग सनी लियोनी सी ।   भारतीय पुरुष है जेठालाल जो चाहत रखता है किसी बबीता की ।😁😁  अब आप ही जानो ,ये पोस्ट गद्य है या कविता सी।। 🖋️ Mahesh Pandey ji.

बचपन की पहली साईकल

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  बचपन की पहली साईकल🚲 - - - - - - - - - - - - - - - - - - -  बाबा आदम के जमाने की डबल डंडी वाली रैले जिसे चलाते थे मेरे स्थूलकाय पिता,  मैं आशंकाओं से ग्रस्त अक्सर सोचता कि कही पिताजी की धोती पैडल या चैन में फंस जाए  और पिताजी साइकिल से गिर ना पड़े।  घर के रेंगान में शान से खड़ी रहती थी। कोई पड़ोसी साइकिल माँगने आता तो , साइकिल की डीलडौल देखकर "भइगे रहे दे महाराज"कहकर वापस लौट जाता।   एक दिन पिताजी उस कृष्णवर्णी बलिष्ठ द्विचक्रवाहिनी को लेकर निकले लेकिन वापस आये , निराश , उदास और हताश । "बेच दिया जी 🥲 सत्तर रुपये में कुलवंत सरदार को"।  बहुत गीले स्वर में बोले पिताजी  जैसे कोई लोहे की निर्जीव चीज नहीं , बल्कि बेच आये हो कोई जीती जागती चीज। 🖊️ #by mahesh pandey ji.